Monday, March 5, 2012

कह दो तुम कुछ ऐसा……


कह दो तुम कुछ ऐसा
कि जिसे सुनकर लगे – सुकून मिला है
बंजर धरती पर फूल खिला है
बहती नदिया को बाँध मिला है |
कह दो तुम कुछ ऐसा
कि जिसे सुनकर लगे – जीवन सवंरा है
पर्वत पर में एक फूल खिला है
बरसों ताप करके जीवन मिला है |
कह दो तुम कुछ ऐसा
कि जिसे सुनकर लगे – जीवन महका है
बुझते मन में दीप जला है
सुखी टहनी पर फूल खिला है
कह दो तुम कुछ ऐसा
कि जिसे सुनकर लगे – एक मीत मिला है
पतझड़ में पौधा पनपा है
समंदर से हिरा निकला है |
कह दो तुम कुछ ऐसा
कि लगे – प्रणय निवेदन किया है
मरुथल में बदल बरसा है
बिरहन को फिर योग मिला है |
कह दो तुम कुछ ऐसा
कि जिसे सुनकर लगे – मरहम लगा है
कह दो तुम कुछ ऐसा – कह दो – कह दो ना….. |

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