Thursday, March 10, 2011

तेरा नाम

आँखें बंद कर जब भी मैंने कुछ याद किया
क्यों तेरा ही नाम मेरे लब पे आ गया ?
अपने खुदा से पूछ
मेरी दुआ में क्या खलल है
शुरू खुदा के नाम से
कर भी दूँ
तो आख़िर में फिर तूँ ही तूँ क्यों आ गया ?
दीवानगी मुझ पर इस कदर क्यों छाई है ?
मूरत भी देखूँ तो
उसमें तेरा ही चेहरा समाँ गया |
इबादत में अगर मैं
हाथ उठा भी दूँ
हाथों में फिर तेरा ही चेहरा क्यों समाँ गया ?
तुझे भुलाने की कोशिशें मैं कितनी करूँ
इन्तख्वाब में फिर
तूँ ही तूँ क्यों………आ गया |
इश्क इससे ज्यदा वन्दना क्या करे
खुदा के माँग कहने पर
तेरा ही नाम मेरे लब पे आ गया ||

Saturday, March 5, 2011

तुम भूल जाते हो !!

तुम हर बार भूल जाते हो |
जोड़ते हो,
सहेजते हो
पर फिर भी
तुम
हर बार भूल जाते हो |
वे चाहतें
वह रखना ख्याल
वह एतबार,
करते तो हो विश्वास बार-बार |
तुम्हारी वफ़ा,
वह यकीं
पर
फिर भी तुम हर बार भूल जाते हो |
वह प्यार
वह हक़ जताना तुम्हारा
वह अधिकार लेना |
पर देना ?
तुम हर बार भूल जाते हो |

क्यों भूल जाते हो ?